न्यायपालिका में सुधार की जरूरत: भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने नियुक्तियों और बर्खास्तगी में खामियों को उजागर किया

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नई दिल्ली [भारत] 22 मार्च न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़े विवाद के बाद भारत में पूर्व अटार्नी जनरल और प्रतिष्ठित वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायपालिका की प्रणालियों में सुधार को तत्काल आवश्यकता पर बोल दिया जिसमें नियुक्तियां अनुशासन और निष्कासन की प्रक्रिया शामिल है l

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला की महाभियोग के माध्यम से हटाने की वर्तमान प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है जिसका प्रमाण यह है कि पिछले 75 वर्षों में एक भी महाभियोग नहीं हुआ है l

रोट गई ने कहा कि न्याय नियुक्ति प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है उन्होंने बताया कि जब सरकार ने न्याय की नियुक्तियों में प्रदेश स्तर बढ़ने के लिए राष्ट्रीय न्याय की नियुक्ति आयोग एन के एक की शुरुआत की तो सर्वोच्च न्यायालय ने प्रक्रिया पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए इसे रद्द कर दिया l

उनके अनुसार वर्तमान प्रणाली ज्ञानयाधीशों की नियुक्ति करते हैं में पारदर्शिता का अभाव है l

उन्होंने मौजूदा प्रथा की भी आलोचना की जिसमें किसी भी व्यक्ति को यह तय करते हैं कि किसी न्यायाधीश को उच्च न्यायालय में नियुक्त किया जाएगा l उन्होंने अधिक समाविष्ट और जवाब देने की मांग की l

निष्कासन के मुद्दे पर रोहित की ने जोर देकर कहा कि महाभियोग प्रक्रिया अत्यंत जटिल है और इसे सरल बनाने की आवश्यकता है उन्होंने न्यायपालिका और संसद से आग्रह किया कि वह निष्कासन प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने और अधिक प्रतिष्ठा और दस्त के लिए प्रणाली में सुधार करने के लिए संबंधित हितधारकों के साथ सहयोग करें l

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