महोबा । उत्तर प्रदेश नेचर एंड बर्ड फेस्टिवल का बुधवार से विजय सागर पक्षी विहार में आगाज हो गया। पहले दिन प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटी रही। देर शाम शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुंदेली संस्कृति की झलक देखने को मिली। यहां के लोकप्रिय गायन में शामिल आल्हा गायन ने लोगों में जोश भरा। राईनृत्य की प्रस्तुतियों से कलाकारों ने सभी का मन मोह लिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह, प्रधान वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे व उत्तर प्रदेश वन निगम के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर कुमार शर्मा ने किया। सबसे पहली प्रस्तुति बांदा से आईं लोकगायिका अर्चना कोटार्य ने दी। उन्होंने बुंदेली भाषा में गीत देवी दुर्गा ने दओ वरदान हमाये घर लाला भए सुनाया।
अर्चना ने ऐसी माटी ने भारत के खंड खंड में, जनम दइयो विधाता बुंदेलखंड में सुनाकर यहां की गाथा बयां की। आल्हा गायक दीपक सेन ने आल्हा ऊदल की 52 लड़ाइयों का वर्णन सुनाकर बुंदेलों में जोश भरा। बड़े लड़इया गढ़ महुबे के, जिनसे हार गई तलवार सुनाकर आल्हा ऊदल के शौर्य और पराक्रम पर प्रकाश डाला। ये बुंदेली धरती अपनी अजब निराली शान है, केन बेतवा, चंबल नदिया करतीं जिसका गान है व स्वाभिमान सम्मान के खातिर जलती हुई जवानी हो, भारत की हर बाला फिर से झांसी वाली रानी हो सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
झांसी से आईं वंदना शुक्ला एंड पार्टी ने राई नृत्य की प्रस्तुति दी। विभिन्न प्रदेशों से आए विशेषज्ञ बुंदेली संस्कृति की झलक देख खासे प्रभावित हुए। इस मौके पर यूपी कैंप लखनऊ के सीईओ संजय श्रीवास्तव, मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जसवीर चौहान, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्य प्रदेश सुबरंजन सेन, एमएलसी जितेंद्र सिंह सेंगर, डीएफओ नरेंद्र सिंह सेंगर मौजूद रहे।