नई दिल्ली [भारत], 27 मार्च (इंटरग्लोब समाचार) – गुजरात के आनंद में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद को विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से लाया गया ‘त्रिभुवन’ सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक के पारित होने को ग्रामीण अर्थव्यवस्था, स्वरोजगार और लघु उद्यमिता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद “ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, स्वरोजगार और लघु उद्यमिता का विकास होगा, सामाजिक समावेश भी बढ़ेगा और नवाचार तथा अनुसंधान में नए मानक स्थापित करने के अवसर मिलेंगे।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का सहकारिता क्षेत्र देश के प्रत्येक परिवार को जोड़ता है और हर गांव में कोई न कोई इकाई सहकारिता के माध्यम से देश के विकास में योगदान दे रही है।
अमित शाह ने कहा, “सहकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जो देश के हर परिवार को जोड़ता है। हर गांव में कोई न कोई इकाई है जो सहकारिता के माध्यम से कृषि, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार से जुड़ी है और देश की प्रगति में योगदान दे रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि पूंजी के बिना उद्यमिता से जुड़ने का एकमात्र माध्यम सहकारी क्षेत्र है। “बिना पूंजी के उद्यमिता से जुड़ने का एकमात्र तरीका सहकारी क्षेत्र है, जिसके माध्यम से करोड़ों लोग 100 रुपये की पूंजी के साथ एक साथ आ रहे हैं और अपना खुद का उद्यम शुरू कर रहे हैं, समान रूप से रह रहे हैं, नौकरी पा रहे हैं और स्वरोजगार के माध्यम से देश के विकास में योगदान दे रहे हैं,” शाह ने कहा।
ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद को विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ इस विधेयक का उद्देश्य इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करना और सहकारी क्षेत्र में तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना भी है। यह “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने और संस्थानों के एक नेटवर्क के माध्यम से देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सहकारी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और उसमें वैश्विक उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करने पर भी जोर देता है।
(इंटरग्लोब समाचार)